भारत की पहचान उसकी संस्कृति, आध्यात्म और धर्म से होती है। भारत का सनातन धर्म वह आधार है, जिसे दुनिया का सबसे पुराना और वैज्ञानिक धर्म माना जाता है। लेकिन सवाल उठता है। कि सनातन धर्म कितना पुराना है? क्या यह किसी विशेष काल से शुरू हुआ, या यह सृष्टि के आरंभ से ही विद्यमान है? आईए इस धर्म की गहराई तक जाने का प्रयास करते हैं।
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सनातन धर्म जिसका ना आदि है ,अनंत है। |
सनातन धर्म का अर्थ। :-
"सनातन" का अर्थ है। :- शाश्वत, अनादि और अनंत।
"धर्म" का अर्थ है। :- जीवन जीने का सही नियम या उचित कर्तव्य।
इसलिए सनातन धर्म का सीधा मतलब है। ऐसा धर्म जो कभी शुरू नहीं हुआ। और न ही कभी समाप्त होगा।
आइए जानते हैं। सनातन धर्म की उत्पत्ति:-
सनातन धर्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है। कि यह किसी संस्थापक पुरुष पर आधारित नहीं है। न ही यह किसी एक काल में शुरू हुआ।
इसे शास्त्रों में सृष्टि के साथ उत्पन्न धर्म माना गया है।
भगवान विष्णु के मुख से ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची और ऋषियों को वेद प्रदान किए। यही सनातन धर्म की जड़ें हैं।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख:-
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सनातन धर्म का वेदों और पुराणों में उल्लेख। |
वेद तथा पुराण - सनातन धर्म का मूल आधार, जिन्हें श्रुति कहा जाता है।
उपनिषद - दर्शन और आत्मज्ञान की गहराई का स्रोत।
गीता - जीवन जीने की कला का सार, जिसे “सनातन ज्ञान” कहा गया है।जो दुनिया का सबसे बड़ा मार्ग दर्शक है।
रामायण और महाभारत - सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक व्यवस्था का दर्पण है। जो संपूर्ण मानव जाति को जीवन की सीख देता है।
सनातन धर्म कितना पुराना है? :-
पुरातात्विक प्रमाण - सिंधु घाटी सभ्यता (8000–10000 वर्ष पुरानी)
धर्म ग्रंथ प्रमाण - वेद (5000–7000 वर्ष पुराने)
आध्यात्मिक दृष्टिकोण - सृष्टि जितनी पुरानी है, उतना पुराना सनातन धर्म है।
सनातन धर्म ऐतिहासिक और वैदिक दृष्टिकोण से कितना पुराना है।:-
1. वैदिक काल - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को लगभग 5000 से 7000 वर्ष पुराना माना जाता है।
2. पुरातत्व प्रमाण - सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 8000 वर्ष पुरानी) में भी शिवलिंग और देवी-देवताओं की पूजा के चिन्ह मिले हैं। जो सनातन धर्म की जड़ को दिखाते हैं।
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सनातन धर्म का पुरातात्विक प्रमाण। |
3. महाभारत और रामायण काल - महाभारत को लगभग 5000 वर्ष पुराना और रामायण काल को उससे भी पुराना माना जाता है। इन ग्रंथों में वर्णित जीवन-शैली और पूजा - पद्धतियां आज भी सनातन धर्म का हिस्सा हैं।
आईए जानते हैं। सनातन धर्म का वैज्ञानिक दृष्टिकोण। :-
सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का संपूर्ण मार्गदर्शन देता है। इसमें
• योग और ध्यान
• आयुर्वेद
• ज्योतिष
• पर्यावरण संतुलन
• अहिंसा और सत्य
जैसे नियम बताए गए हैं। जिन्हें आधुनिक विज्ञान भी मान्यता देता है।
आईए जानते हैं। इस धर्म का विदेशी दृष्टिकोण:-
• ग्रीक यात्री मेगस्थनीज ने भारत के धर्म को अनादि बताया।
• अरब और फारसी विद्वानों ने भी भारत को "धरती का सबसे पुराना धर्मस्थल" कहा।
• आधुनिक विद्वान मानते हैं। कि सनातन धर्म की परंपरा कम से कम 12,000 वर्ष पुरानी है।
सनातन धर्म की विशेषताएं:-
1. समय से परे - यह धर्म केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है।
2. लचीला और सर्वव्यापक - इसमें हर व्यक्ति अपने अनुसार साधना कर सकता है।
3. विज्ञान सम्मत - योग, ध्यान और आयुर्वेद को पूरी दुनिया अपना रही है।
4. प्रकृति के अनुकूल - पेड़-पौधों, नदियों, पर्वतों और जानवरों की पूजा करना सनातन धर्म की पहचान है।
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सनातन धर्म में पेड़ - पौधे तथा नदियों का पूजा का विशेष महत्व है। |
आज के आधुनिक युग में महत्व। :-
आज भी सनातन धर्म दुनिया के करोड़ों लोगों की जीवन-रेखा है।
योग दिवस का विश्वभर में मनाया जाना है।
आयुर्वेद का पुनर्जीवन हुआ है।
भारतीय दर्शन का सम्मान - इन सभी बातों से यह प्रमाणित होता है। कि सनातन धर्म केवल अतीत नहीं, बल्कि भविष्य का भी मार्गदर्शक है।
निष्कर्ष:-
सनातन धर्म कोई नया मत या संप्रदाय नहीं है। बल्कि यह जीवन का सनातन सत्य है। यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। जितना हजारों साल पहले था। यही कारण है कि दुनिया भर के लोग इसे अब “Hinduism” के नाम से जानते हैं। लेकिन इसका असली नाम सनातन धर्म ही है।सनातन धर्म का यदि सौ बात की एक बात कही जाए तो, यह किसी एक युग का नहीं बल्कि सृष्टि का धर्म है। यह न कभी शुरू हुआ, और न कभी समाप्त होगा। यही कारण है ,कि इसे "अनादि-अनंत धर्म" कहा गया है।
By: --deobrat bhaskar sharma
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