मानव जीवन में संतों का स्थान बहुत ऊंचा माना गया है। संत वह होते हैं। जो न केवल स्वयं ईश्वर से जुड़े होते हैं। बल्कि दूसरों को भी सत्य, भक्ति और सदाचार के मार्ग पर ले जाते हैं। लेकिन असली संत और दिखावे वाले संत में अंतर समझना बहुत जरूरी है। क्योंकि आजकल दिखावे वाले संत की संख्या कुछ ज्यादा ही हो गया है। इसलिए नीचे हम सच्चे संत के मुख्य लक्षण और गुणों के बारे में जानेंगे। जो हमारे देश के पूर्व संतों तथा शास्त्रों में बताए गए हैं।
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| वर्तमान समय के सबसे महान संत महाराज प्रेमानंद जी को सत कोटि नमन। राधे राधे |
• हमारे धर्म शास्त्रों में बताए गए सच्चे संत के लक्षण:-
1. भक्तियोग अनुसार (भगवद्गीता):-
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता (12 वें अध्याय) में सच्चे भक्त और ज्ञानी के गुण बताए हैं। जिन्हें सच्चे संत के लक्षण माना जा सकता है।
अद्वेष्टा सर्वभूतानां (सबके प्रति द्वेष रहित)
मैत्रः करुण एव च (मित्र भाव और करुणाशील)
निरममो निरहंकारः (ममता और अहंकार रहित)
क्षमी (क्षमा करने वाला)
संतुष्टः सततम् (हमेशा संतोषी)
युक्तः स्थिरमतिः (स्थिर बुद्धि वाला)
2. श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार संत के मुख्य लक्षण बताए गए हैं:-
संत हर परिस्थिति में ईश्वर पर विश्वास रखते हैं।
उनका मन भगवान में तन्मय रहता है।
वे सबके प्रति समान भाव रखते हैं।
दूसरों के दुख को अपना दुख मानकर सहानुभूति रखते हैं।
3. रामचरितमानस (गोस्वामी तुलसीदास जी) के अनुसार:-
तुलसीदास जी ने संत और पाखण्ड में भेद करते हुए कहा है।
संत दूसरों के दुख दूर करते हैं। जैसे चांदनी अंधकार को दूर करती है।
पाखण्ड दूसरों का सुख छीनते हैं। जैसे सूरज की तपन जलाती है।
सच्चा संत दूसरों का भला करता है। भले ही उसे स्वयं कष्ट क्यों न हो।
4. योग वशिष्ठ और उपनिषद अनुसार:-
संत वह है। जो राग-द्वेष से रहित हो।
उनका जीवन आत्मज्ञान और वैराग्य पर आधारित होता है।
वे लोक कल्याण के लिए जीते हैं। न कि अपनी भौतिक इच्छाओं के लिए।
• आइए कुछ और बात से जाने सच्चे संत के लक्षण:-
1. विनम्र स्वभाव:-
सच्चे संत में कभी अहंकार नहीं होता। वे चाहे कितने ही बड़े ज्ञानी क्यों न हों, सबके प्रति विनम्र रहते हैं। सच्चे संत का ये सबसे महत्वपूर्ण गुण है।
2. स्वार्थ रहित जीवन:-
वे अपने लिए कुछ नहीं चाहते। उनका जीवन केवल दूसरों की भलाई और सेवा में समर्पित होता है।
3. सरलता और सादगी की झलक:-
उनका रहन-सहन अत्यंत सादा और प्राकृतिक होता है। वे दिखावा और आडंबर से कोसो दूर रहते हैं।
4. सत्य प्रियता का होना:-
सच्चा संत कभी झूठ का सहारा नहीं लेता। उसके विचार और वचन हमेशा सत्य पर आधारित रहता है।
5. करुणा और दया:-
सभी जीवों के प्रति दया और करुणा उनका स्वभाव में ही होता है। वे कभी किसी को कष्ट नहीं पहुंचा सकते हैं।
6. क्षमा और सहनशीलता:-
वे अपमान और निंदा को भी धैर्यपूर्वक सहन करते हैं। उनके मन में किसी के प्रति क्रोध या द्वेष नहीं होता। ये भी सच्चे संत के मुख्य लक्षण हैं।
7. आध्यात्मिक ज्ञान:-
सच्चे संत ईश्वर, आत्मा और जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझते हैं। और सरल भाषा में सबको समझाते हैं।
8. सदाचरण का पालन:-
वे स्वयं अच्छे कर्म करते हैं। और दूसरों को भी उसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
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| आईए जानते हैं। सच्चे संत के गुण। राधे राधे |
• सच्चे संत के विशेष गुण (शास्त्रीय दृष्टि से)
1. सत्यनिष्ठा:- वे सदा सत्य बोलते हैं। और सत्य के लिए जीते हैं।
2. वैराग्य:- सांसारिक लोभ, मोह और कामनाओं से मुक्त रहते हैं।
3. समदृष्टि:- अमीर-गरीब, मित्र-शत्रु, ज्ञानी-अज्ञानी सभी में ईश्वर का अंश देखते हैं।
4. अहिंसा :- किसी प्राणी को दुख न पहुंचाना,ये सोच रखते हैं।
5. अनासक्ति:- फल की चिंता किए बिना सेवा और भक्ति में लगे रहना।
6. उपदेशक नहीं, प्रेरक:- वे केवल प्रवचन नहीं करते हैं। बल्कि अपने आचरण से लोगों को धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देते हैं।
7. अहंकार पर विजय:- सच्चे संत के जीवन में अहम का कोई स्थान नहीं होता है। जीवन में जितना भी सिद्धि प्राप्त कर ले। उसे जरा भी अहंकार नहीं होता है।
• आईए कुछ और बात से जाने सच्चे संत के गुण:-
प्रेम, शांति और करुणा का प्रसार करना।
भक्ति और धर्म में अटूट विश्वास रखना।
जीवन की हर परिस्थिति में संतोष और धैर्य रखना।
समाज को एकजुट करने और सच्चे मार्ग पर ले जाने का प्रयास करते रहना।
सेवा भाव से सभी की मदद करना।
ज्ञान और साधना में निरंतर लगे रहना।
निष्कर्ष:-
सच्चे संत वही हैं। जो अपने जीवन से दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं। उनका वचन, आचरण और व्यवहार हमेशा शांति, प्रेम और सत्य की ओर ले जाता है। ऐसे संतों का संग जीवन को श्रेष्ठ और सार्थक बना देता है।
शास्त्रों के अनुसार सच्चे संत वही हैं। जिनमें वैराग्य, करुणा, सत्यनिष्ठा और समदृष्टि के गुण हों। ऐसे संत न केवल भगवान के करीब होते हैं। बल्कि दूसरों को भी मोक्ष और शांति की ओर ले जाते हैं।
By:--deobrat bhaskar sharma


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