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Radha ashtami:क्यों खास है राधा अष्टमी? जानें व्रत का महत्व, पूजा विधि और चमत्कारी फायदे।

राधा अष्टमी केवल वार्षिक ही उत्सव नहीं ,बल्कि भक्ति और प्रेम की साधना का दिन है। राधा रानी हमें सिखाती हैं। कि ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सरल मार्ग प्रेम और निस्वार्थ भक्ति है। जब मन में अहंकार और स्वार्थ मिट जाते हैं। तब जीवन में राधा जैसी पवित्रता का अनुभव होता है। और उसे भक्ति प्राप्त होता है। आईए जानते हैं। राधा अष्टमी व्रत का महत्व और कुछ रोचक तथ्य जिसे जानकर आपको आनंद की अनुभूति होगी। 


Radha ashtami:क्यों खास है राधा अष्टमी? जानें व्रत का महत्व, पूजा विधि और चमत्कारी फायदे।
आईए जानते हैं। राधा अष्टमी के कुछ रोचक तथ्य। 


 • राधा अष्टमी के खास तथ्य। 


1. बरसाना राधा रानी की जन्मभूमि है:-

राधा जी का जन्म रावल गांव में हुआ था। लेकिन उनका बचपन और जीवन बरसाना में बीता। इसलिए बरसाना को "राधा रानी की नगरी" कहा जाता है।


2. राधा रानी के जन्म की अद्भुत कथा:-

मान्यता है। कि राधा रानी का जन्म माता-पिता की कोख से नहीं हुआ था। वे माता वृषभानु और माता कीर्ति के घर दिव्य रूप से प्रकट हुई थीं। जन्म के समय उनकी आँखें बंद थीं।और कहा जाता है। कि भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के बाद ही उन्होंने अपनी आँखें खोली थीं।


3. राधा अष्टमी के व्रत का महत्व:-

राधा अष्टमी पर महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखती हैं। ताकि दांपत्य जीवन सुखमय हो और परिवार में प्रेम-सौहार्द बना रहे।


4. राधा नाम का रहस्य:-

"राधा" शब्द का अर्थ है। आनंद में डूब जाना। भक्तजन मानते हैं। कि जब कोई "राधे राधे" कहता है, तो वातावरण स्वतः ही प्रेम और भक्ति से भर जाता है।


5. राधा-कृष्ण का अद्वैत स्वरूप:-


Radha ashtami:क्यों खास है राधा अष्टमी? जानें व्रत का महत्व, पूजा विधि और चमत्कारी फायदे।
राधा कृष्ण का और अद्वैत स्वरूप। 

शास्त्रों में कहा गया है। कि राधा और कृष्ण अलग नहीं हैं। राधा, कृष्ण की शक्ति हैं। तथा आनंद स्वरूपा हैं। यही कारण है। कि भक्ति में दोनों का साथ-साथ नाम लिया जाता है। 


6. ब्रज में उत्सव के रंग :-

बरसाना, वृंदावन और मथुरा में राधा अष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विशाल शोभा यात्राएं निकल जाती है। चारों ओर भजन-कीर्तन होता है। और राधा-कृष्ण के स्वरूपों की झांकियां सजाई जाती हैं।


7. राधा अष्टमी व्रत का आध्यात्मिक लाभ:-

मान्यता यह है। कि राधा अष्टमी के दिन यदि कोई सच्चे मन से “राधे कृष्ण” का जप करे, तो उसके जीवन से दुख और बाधाएं दूर होती हैं। और हृदय में शांति का संचार होता है। और जीवन आनंदमय रहता है। 


• आइए जानते हैं। राधा अष्टमी व्रत का महत्व:-

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह वही दिन है। जब श्रीकृष्ण की प्राण प्रिय, भक्ति की मूर्ति, प्रेम स्वरूपा श्रीराधा रानी ने ब्रजभूमि के बरसाने में अवतार लिया था। जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद आने वाला यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।

कहा जाता है। कि भगवान श्रीकृष्ण राधा रानी के बिना अधूरे हैं। राधा प्रेम, भक्ति और समर्पण की जीवंत प्रतिमा हैं। इसीलिए जब भी कृष्ण का नाम लिया जाता है। तो राधा रानी का नाम स्वतः जुड़ जाता है। 

 "राधे कृष्णा"


• राधा अष्टमी की पूजा विधि:-


Radha ashtami:क्यों खास है राधा अष्टमी? जानें व्रत का महत्व, पूजा विधि और चमत्कारी फायदे।
राधे राधे। 


इस दिन भक्तजन प्रातः स्नान कर पवित्र मन से राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं।

घर या मंदिर में श्रीराधा रानी की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से स्नान कराए जाते हैं।

पीले या गुलाबी फूल अर्पित करें, क्योंकि ये राधा रानी जी को अति प्रिय हैं।

श्रीराधा अष्टमी के दिन "राधे राधे" नाम स्मरण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

व्रत रखने वाले भक्त सूर्योदय से अष्टमी तिथि समाप्त होने तक उपवास रखते हैं।


निष्कर्ष:-


राधा अष्टमी का पर्व हमें याद दिलाता है। कि प्रेम ही परम सत्य है। जैसे राधा के बिना कृष्ण का अस्तित्व अधूरा है। वैसे ही भक्ति के बिना जीवन अधूरा है। इस दिन यदि हम प्रेम, करुणा और भक्ति को अपने जीवन का आधार बना लें, तो यह पर्व सार्थक हो जाएगा। तथा हमारा जीवन भी सार्थक हो जाएगा। 


"राधे-राधे" का संकीर्तन हर हृदय को आनंद और शांति से भर देता है।


By:--deobrat bhaskar 




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