गणपति बप्पा का नाम लेते ही हर मन प्रसन्न हो उठता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सुखकर्ता माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश पूजा से जुड़े कई ऐसे रोचक तथ्य और परंपराएं हैं। जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है। आइए जानते हैं। गणेश पूजा से जुड़ा अद्भुत ज्ञान।
विघ्नहर्ता गणपति बप्पा
1. माता पार्वती के शरीर से जन्म:-
गणेश जी का जन्म माता पार्वती के शरीर के उबटन (गंध, हल्दी व चंदन के लेप) से हुआ था। इसी वजह से उन्हें पार्वती नंदन कहा जाता है।
2. शिवजी ने काटा था सिर:-
जब शिवजी ने पहली बार गणेश जी को देखा ,तो वे माता पार्वती के द्वारपाल बने खड़े थे। शिवजी ने उन्हें पहचान न पाने पर उनका सिर काट दिया था। बाद में देवी पार्वती के रोने पर शिवजी ने हाथी का सिर लगाकर गणपति को नया जीवनदान दिया।
3. गणेशजी को सबसे पहले पूजा जाता है:-
हर शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है। इसका कारण यह है कि वे विघ्नहर्ता हैं। यानी हर प्रकार की बाधा को दूर करते हैं। इसलिए शादी, गृह प्रवेश, व्यवसाय की शुरुआत या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले गणेशजी का पूजन होता है।
4. गणेश जी का दूसरा नाम एकदंत है:-
वैसे तो गणेशजी के अनेक नाम हैं। लेकिन उनका एक नाम एकदंत भी है। इसका कारण यह है, कि उनके एक ही दांत हैं। पुराणों के अनुसार उन्होंने महाभारत लिखने के लिए अपना एक दांत तोड़कर कलम के रूप में इस्तेमाल किया था।
5. मूषक ( चूहा) क्यों है? गणेश जी का वाहन:-
गणेशजी का वाहन चूहा है। यह प्रतीक है कि इंसान को अपने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। जैसे चूहा हर जगह घुस जाता है, वैसे ही मन भी भटकता - भटकता कहीं भी चला जाता है। गणपति अपने वाहन के रूप में यह संदेश देते हैं। कि मन को नियंत्रित करना ही सच्ची साधना है।
6. गणेश चतुर्थी का महत्व:-
गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। विशेषकर महाराष्ट्र में। इसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के समय सामूहिक उत्सव मनाया था। ताकि लोग एकजुट होकर अंग्रेज़ों के खिलाफ खड़े हो सकें।
7. गणेश जी को पहला लेखक माना जाना:-
पहला लेखक गणपति बप्पा
क्या आप जानते हैं? गणेशजी को प्रथम लेखक भी माना जाता है। ऋषि वेदव्यास ने जब महाभारत की रचना की, तो गणेशजी ने उसे लिपिबद्ध किया। यही कारण है कि उन्हें ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक कहा जाता है।
8. 21 दूर्वा क्यों चढ़ाई जाती हैं:-
गणपति जी को 21 दूर्वा (घास) चढ़ाने की परंपरा है। इसका वैज्ञानिक कारण भी है। दूर्वा में औषधीय गुण होते हैं। और यह वातावरण को शुद्ध करने में सहायक है। साथ ही 21 अंक को पूर्णता और शक्ति का प्रतीक माना गया है।
9. गणेश प्रतिमा की सूंड का रहस्य:-
गणपति की मूर्ति में सूंड कभी दाईं ओर और कभी बाईं ओर होती है। बाईं ओर की सूंड = शांति और सुख का प्रतीक है। दाईं ओर की सूंड = शक्ति और तंत्र साधना का प्रतीक है।
10. गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों होता है:-
गणेश चतुर्थी के दौरान स्थापित प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इसका अर्थ है। की जीवन क्षणभंगुर है। यहां सब कुछ अस्थाई है। मूर्ति विसर्जन हमें यह सिखाता है। कि हमें आसक्ति छोड़कर कर्तव्य पर ध्यान देना चाहिए।
निष्कर्ष:-
गणेश पूजा सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं। बल्कि गहन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक संदेश भी देती है। गणपति बप्पा हमें सिखाते हैं। कि जीवन में हर कार्य से पहले सकारात्मक सोच, ज्ञान और अनुशासन का होना ज़रूरी है।
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