जीवन में हर किसी को कभी न कभी अपमान का सामना करना पड़ता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं। की अपमान से बड़ी कोई चोट नहीं होती, और संयम से बड़ी कोई ताक़त नहीं होती है।
तो अब सवाल यह उठता है, कि जब कोई हमें नीचा दिखाने की कोशिश करे तो हमें क्या करना चाहिए?
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चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे लें बेइज्जती का बदला। |
1. सबसे पहला क्रोध पर नियंत्रण होना चाहिए। :-
आचार्य चाणक्य कहते हैं। की क्रोध हमेशा बुद्धि को नष्ट कर देता है।
जब कभी आपकी बेज्जती हो तो उस समय तुरंत गुस्से से जवाब देने पर अक्सर हम गलती कर बैठते हैं। इसलिए सबसे पहले धैर्य रखें और चुप रहें। यही आपका पहला विजय का कदम होगा।
2. तुरंत उत्तेजित होकर पलटवार न करें। :-
अपमान का जवाब उसी समय देना हमेशा सही नहीं होता। कई बार समय का इंतज़ार करना ही सबसे अच्छा हथियार होता है। चाणक्य नीति कहती है। की शत्रु का नाश सही समय देखकर करना चाहिए।
3. अपनी ताक़त और सफलता से जवाब दें। :-
चाणक्य मानते थे। कि आपकी उपलब्धियां और सफलता ही आपके बेइज्जती का असली बदला है।
अगर कोई आपको नीचा दिखाता है, तो उसके जवाब में आपको अपने जीवन में ऊंचाई हासिल करना सबसे बड़ा बदला है।
4. अपमान का तनाव लेने के बजाय उसे प्रेरणा में बदलें। :-
आचार्य चाणक्य ने कहा है। कि अपमान को कभी भूलना नहीं चाहिए। बल्कि उसे अपनी ऊर्जा और मेहनत का ईंधन बना लेना चाहिए। अपमान को याद रखकर मेहनत करना इंसान को ऊंचाइयों पर ले जाता है।
5. कब चुप रहना है। और कब जवाब देना है। इसे समझें। :-
हर अपमान का जवाब ज़रूरी नहीं होता। बुद्धिमान व्यक्ति वही है। जो सही समय पर और सही तरीके से अपनी बात रखे।
कभी चुप रहना भी बड़ा जवाब होता है।
6. अपने जीवन स्तर पर ध्यान दें, सामने वाले पर नहीं। :-
आचार्य चाणक्य कहते हैं। कि जिसका मन स्थिर है, उसे अपमान हिला नहीं सकता।
यदि कोई आपको नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो याद रखें कि उसकी बात उसके व्यक्तित्व का परिचय है, आपका नहीं। अपने लक्ष्य और कर्म पर ध्यान दें। यही सबके लिए उपयुक्त है।
7. शत्रु को कभी कमज़ोर न समझे। :-
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शत्रु को कभी कमजोर न समझे। |
कभी-कभी अपमान करके लोग हमें गुस्से में गलत कदम उठाने के लिए उकसाते हैं। आचार्य चाणक्य मानते थे। कि शत्रु को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। तथा धैर्य और बुद्धि से ही जीत संभव है।
8. शब्दों के बजाय अपने कर्मों से जवाब देना चाहिए। :-
बेज्जती का सबसे अच्छा जवाब है। की सामने वाले को अपनी सफलता दिखाना।
आपकी जीवन सफलता ही आपके लिए सबसे बड़ा प्रतिशोध हैं।
9. अपमान को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। :-
आचार्य चाणक्य कहते थे। अपमान को हमेशा याद रखना चाहिए, क्योंकि वही व्यक्ति को मजबूत बनाता है।
लेकिन इसका मतलब बदला लेने का भाव मन में नहीं होना चाहिए। , बल्कि उस अपमान से प्रेरणा लेना चाहिए।
10. खुद को इतना ऊंचा बना लेना चाहिए। कोई अपमान करने का कल्पना भी न कर सके। :-
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खुद को इम्प्रूव करते रहना चाहिए। |
जब इंसान अपनी मेहनत और सफलता से समाज में बड़ा मुकाम बना लेता है, तो कोई भी अपमान उसे नहीं गिरा सकता है। चाणक्य मानते थे। कि आत्मबल और आत्मसम्मान सबसे बड़ी ढाल है।
प्रेरणादायक निष्कर्ष:-
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अपमान का सामना करना एक कला है।
गुस्से से नहीं, धैर्य से जवाब दें।
शब्दों से नहीं, कर्मों से अपना सम्मान स्थापित करें।और अपमान को अपनी शक्ति बनाकर जीवन में ऊंचाई तक पहुंचे।
आचार्य चाणक्य कहते हैं। कि अपमान सहना आसान नहीं होता है। लेकिन जो इसे सही तरीके से संभाल लेता है। वही व्यक्ति जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करता है।
By: --deobrat bhaskar sharma
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