आचार्य चाणक्य, जिन्हें विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, न केवल मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। बल्कि राजनीति, अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र के महान आचार्य भी थे। उनकी रचनाएँ जैसे अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति से आज भी जीवन, समाज और राजनीति को समझने में काफी हो जाती हैं।
महिलाओं के बारे में भी चाणक्य ने अनेक विचार प्रस्तुत किए हैं। उनके कुछ कथन कठोर लगते हैं। लेकिन उनका उद्देश्य समाज को अनुशासित और सुरक्षित रखना था। आईए जानते हैं। महिलाओं के बारे में आचार्य चाणक्य के विचार।
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महिलाओं पर आचार्य चाणक्य के विचार। |
1. स्त्री कमजोर नहीं बल्कि शक्तिशाली है:-
चाणक्य मानते थे। कि स्त्री अपार शक्ति की धनी होती है। वह चाहे तो परिवार को स्वर्ग बना सकती है और चाहे तो उसे नरक में भी बदल सकती है।
उनका मत था। जहां स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं।
इससे स्पष्ट है कि ,महिलाओं का आदर करना ही समाज की उन्नति की कुंजी है।
2. स्त्री परिवार की आधार:-
चाणक्य के अनुसार, स्त्री परिवार की आधारशिला है। वह घर को संवारती है और अगली पीढ़ी को संस्कार देती है। यदि स्त्री शिक्षित, संस्कारी और उसके अंदर धैर्यशीलता हो, तो पूरा परिवार सुखी और समृद्ध हो सकता है।
3. स्त्री की बुद्धिमत्ता और चतुराई सराहनीय:-
चाणक्य ने स्त्रियों की बुद्धिमत्ता को पुरुषों से अधिक माना है। उनका कहना था कि कठिन परिस्थितियों में भी स्त्री समस्या का समाधान ढूंढ लेती है। यही कारण है। कि वे राजनीति और कूटनीति में भी पीछे नहीं रहतीं।
4. स्त्री और अनुशासन में सम्बन्ध:-
कुछ स्थानों पर चाणक्य ने स्त्रियों की तुलना आग से की है। उनका मानना था कि स्त्री की ऊर्जा और आकर्षण को नियंत्रित न किया जाए। तो यह परिवार और समाज दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए उन्होंने संयम और मर्यादा पर ज़ोर दिया।
5. आधुनिक दृष्टिकोण से उनके विचार:-
आज के समय में चाणक्य के विचारों को समझते हुए हमें यह देखना चाहिए। कि उनका उद्देश्य स्त्रियों का अपमान नहीं ,बल्कि उनकी शक्ति और प्रभाव को दर्शाना था।
उन्होंने स्त्रियों के सम्मान और शिक्षा पर ज़ोर दिया।
स्त्रियों की बुद्धिमत्ता और प्रबंधन क्षमता को स्वीकार किया।
साथ ही समाज में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की सलाह दी।
6. अब आइए जानते हैं। महिलाओं के बारे में आचार्य चाणक्य की लाइनें:-
• जहां स्त्रियों का आदर होता है, वहां देवता निवास करते हैं।
इसका अर्थ है कि स्त्री का सम्मान ही परिवार और समाज में सुख-समृद्धि लाता है।
• स्त्री घर की लक्ष्मी होती है, उसका अपमान पूरे घर को दुर्भाग्यशाली बना देता है।
• महिलाएं पुरुषों से कई गुना चतुर और बुद्धिमान होती हैं, इसीलिए उनका सम्मान करना चाहिए।
• यदि स्त्री शिक्षित और संस्कारी हो, तो पूरा परिवार और समाज प्रगति करता है।
• स्त्री के बिना पुरुष अधूरा है, जैसे बिना पानी के नदी और बिना फूलों के बगीचा।
• स्त्री चाहे तो परिवार को स्वर्ग बना सकती है। और चाहे तो नरक में
भी बदल सकती है।
निष्कर्ष:-
आचार्य चाणक्य के महिला संबंधी विचार हमें बताते हैं। कि स्त्री केवल घर तक सीमित नहीं है, बल्कि वह समाज और राष्ट्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, बस आवश्यकता है। उन्हें सही दृष्टि से समझने और लागू करने की।
By: --deobrat bhaskar
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