भारत विविधताओं और त्योहारों का देश है, और उनमें भी सावन की पूर्णिमा एक विशेष स्थान रखती है। ज्यादातर लोग सावन की पूर्णिमा मतलब रक्षाबंधन ही जानते हैं। सावन की पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, संस्कृति और मौसम के ज्ञान से भी जुड़ा हुआ है। आइए जानें इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें, जिनसे शायद आप अब तक अनजान थे।
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| सावन पूर्णिमा पर कुछ रोचक तथ्य। |
1. सावन पूर्णिमा का मतलब क्या है:-
सावन मास की आखिरी तिथि, जब चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देता है, उसे सावन पूर्णिमा कहते हैं। यह दिन आमतौर पर जुलाई-अगस्त के बीच आता है। इसी दिन रक्षा बंधन और कई अन्य महत्वपूर्ण पर्व भी मनाए जाते हैं
2. रक्षा बंधन का त्योहार मनाना सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है:-
इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है।
इस सन्दर्भ में कुछ पौराणिक कहानियां:-
द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा प्रसिद्ध है, जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली पर कपड़े का टुकड़ा बांधा था।
रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी भी राखी से जुड़ी एक ऐतिहासिक घटना है।
3. सावन और वर्षा का विशेष संबंध:-
सावन का महीना मानसून का चरम समय होता है। पूर्णिमा के समय चंद्रमा का प्रभाव जल तत्व पर बढ़ता है, जिससे वर्षा अधिक होती है। यही कारण है कि कई जगहों पर इस दिन जल से जुड़े अनुष्ठान किए जाते हैं।
4. इस दिन शिव-पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है:-
सावन भगवान शिव को समर्पित महीना है। पूर्णिमा के दिन शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती है। व्रत और रुद्राभिषेक करने से ,माना जाता है कि संपत्ति, स्वास्थ्य और विवाह में सफलता मिलती है।
5. कृषकों के लिए शुभ संकेत:-
पुराने समय में किसान इस दिन आकाश में चंद्रमा की स्थिति और मौसम देखकर अंदाज़ा लगाते थे कि आगे की फसल कैसी होगी। इसे "पूर्णिमा कृषि परंपरा" कहा जाता है।
6. लोक परंपराऐं और मेलों का आयोजन:-
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| सावन में झूला झूलने का प्रचलन। |
भारत के कई हिस्सों में इस दिन विशेष मेले, झूले और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होते हैं। खासकर उत्तर भारत में लड़कियां सावन के झूले झूलती हैं। और लोकगीत गाती हैं।
7. मेंढक-मेंढकी की शादी की परंपरा:-
भारत के कई ग्रामीण इलाकों में वर्षा के लिए मेंढक-मेंढकी की शादी करवाई जाती है। और वह भी विशेष कर सावन में,माना जाता है कि इससे इंद्र देव प्रसन्न होकर अच्छी बारिश करते हैं। कई जगहों पर यह परंपरा अब भी निभाई जाती है।
निष्कर्ष:-
सावन की पूर्णिमा केवल एक तिथि ही नहीं, बल्कि भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक चेतना का प्रतीक है। इसमें न केवल रक्षा बंधन जैसी सामाजिक परंपराएं छिपी हैं, बल्कि ऋषियों का स्मरण, कृषि विज्ञान और प्रकृति से जुड़ाव भी शामिल है।
By:--deobrat bhaskar sharma


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