कभी जो बातें हमें पुराने ज़माने की लगती थीं, आज वही बातें हमारे जीवन की सच्चाई बन गई हैं। बुजुर्गों की कही बातें भले उस वक्त बेमतलब सी लगती थीं, लेकिन समय ने उन्हें एक-एक कर सही साबित कर दिया। आज हम उन 7 बातों को याद कर रहे हैं, जो बुजुर्गों ने कहीं थीं। और अब पूरी तरह सही साबित हो रही हैं।
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| बुजुर्गों की सीख |
1. जल्दी सोना और जल्दी उठना – सेहत का असली गुरू मंत्र है।
जब हमारे समाज के बूढ़े कहते थे, की "सूरज के साथ उठो और सूरज के साथ सो जाओ", तो हम लोग हँस देते थे।
लेकिन अब मेडिकल साइंस और स्लीप स्टडीज बताती हैं कि जल्दी सोना और जल्दी उठना हमारे शरीर की प्राकृतिक घड़ी (body clock) के लिए सबसे सही है। इससे हमेशा सेहत अच्छी बनी रहती है।
2. जैसी होगी संगत ,वैसी दिखेंगी रंगत:-
बुजुर्ग हमेशा कहते थे कि अच्छे लोगों की संगत में रहो, नहीं तो बुरे असर में आ जाओगे।
अब साइंस और साइकोलॉजी भी कहती हैं कि हमारे आसपास के लोग हमारी सोच, आदत और फैसलों पर गहरा असर डालते हैं।
3. घर का खाना सबसे अच्छा होता है:-
बुजुर्ग जब बाहर के खाना खाने से मना करते थे, तब हमें लगता था , की वह बस फालतू का ज़िद कर रहे हैं।
आज, जब बाहर के खाने, तथा जंक फूड से जुड़ी बहुत से बीमारियां आम हो गई हैं, तब समझ में आया कि, घर का दाल-चावल, रोटी-सब्ज़ी ही असली सुपरफूड है।
4. मन में शांति ही शक्ति है:-
जब हमारे घर बुजुर्ग तेज़ बोलने या गुस्से में कुछ कहने से मना करते थे। तब हमें इस बात से भी क्रोध आता था। लेकिन
आज हम सीख रहे हैं, कि असली ताक़त चिल्लाने में नहीं, शांति से जवाब देने में होती है। शांत दिमाग ही सबसे बड़ी शक्ति है।
5. हर बात को हर किसी से नहीं कहनी चाहिए:-
आज जब लोग अपनी पर्सनल बातें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं और बाद में पछताते हैं, तब यह बात और भी सही लगती है।
बुजुर्ग हमेशा सिखाते थे। कि कब, क्या और किससे और कितना कहना चाहिए– यह समझदारी की बात है।
6. जितना चादर हो, उतना ही पैर फैलाना:-
क्रेडिट कार्ड, कर्ज़ और EMI के ज़माने में बहुत से लोग कर्ज़ के बोझ में दबे हैं।
बुजुर्गों की यह बात कि "खर्च उतना ही करो जितनी आमदनी हो" – अब ज़िंदगी का सबक बन गई है।शरीर है तो सब कुछ है।
7. शरीर है तो सब कुछ है:-(एक कहावत है, तन है तो धन है):-
कभी हेल्थ को नजरअंदाज कर देने वाले अब gym, योगा और मेडिटेशन की तरफ भाग रहे हैं।
पहले बुजुर्ग हमेशा यह बात कहा करते थे, कि अगर शरीर ठीक है, तो ज़िंदगी की हर जंग जीती जा सकती है – आज सबसे बड़ा सच है।
निष्कर्ष:
कहते हैं अनुभव सबसे बड़ा शिक्षक होता है। और बुजुर्ग अनुभव के खजाने होते हैं। जो बातें हमें पहले पुरानी सोच लगती थीं, आज वही बातें नए युग की सबसे बड़ी सच्चाई बन चुकी हैं।
तो अगली बार जब कोई बुजुर्ग कुछ कहे, तो सुनिए – शायद वो बात आज नहीं, पर कल जरूर काम आए।
By:--deobrat bhaskar sharma


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