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Dar se dosti kaise karen, क्या करें जब डर लगे।

 डर, मनुष्य के अंदर स्वतः होने वाली एक प्राकृतिक भावना है। यह एक ऐसी भावना है जब मनुष्य किसी बुरे स्थिति में फसने को होता है।तो वहां पर एक डर की भावना पैदा होता है। और मनुष्य बुरे स्थिति में फंसने से बच जाता है। डर ही एक ऐसी भावना है। जो हमें समय-समय पर सावधानी सिखाता है। तथा हमें आने वाले बुरे परिस्थितियों से भी सचेत करता है।                                  

परंतु जब यही डर हमारे जीवन में ज़रूरत से ज्यादा आने लगे,तब हमारे जीवन के लक्ष्य में सबसे बड़ी बाधा बन जाती है। और तब हमें चाहिए इस डर से दोस्ती कर लें।                                                                                      

       

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                             डर से घबराना नहीं चाहिए।                                                   

               

हम अपने जीवन में डर को कैसे पहचाने:- जीवन में हर मनुष्य का, डर का अलग-अलग भावनाएं होती है।अलग-अलग परिस्थितियां होती है। जैसे की किसी मनुष्य को अकेलापन से डर लगता है। किसी को असफलता का डर लगा रहता है।किसी को भविष्य की चिंता का डर बना रहता है।                                                                                     
आईए जानते हैं, डर से दोस्ती करने का कुछ उपाय: -                 
 तो सबसे पहले अपने अंदर डर को पहचाना सीखिए। जब डर की वजह समझ में आ जाए, तो उसे स्वीकार कीजिए। तब अपने अंदर कुछ प्रश्न कीजिए। जैसे की: - मुझे किस बात का डर सता रहा है, और मुझे यह डर की भावना बार-बार क्यों आ रहा है। कुछ लोग ऐसा सोचते हैं की ,जब भी डर की भावना आती है। तो हमें अपना ध्यान कहीं दूसरे जगह लेकर जाना चाहिए। उसे डर को इग्नोर कर देना चाहिए।परंतु यह क्षणिक समाधान है।फिर बाद मे वही डर और बड़ा रूप बना के सामने आएगा।   
                                                                                                           सबसे पहले अपने अंदर छिपे हुए डर से बात करे:- अपने भीतर छिपे हुए डर से एक दोस्त की तरह बात कीजिए।जैसे की :-उससे कहिए कि मैं तुम्हारी भावना को समझ रहा हूं। तुम हमें बुरे स्थिति से बचाना चाहते हो। मुझे रिस्क में पढ़ने से रोक रहे हो। फिर उससे कहिए पूरे जोश के साथ ,लेकिन अब मैं मानसिक रूप से हर परिस्थिति से लड़ने को तैयार हूं।अतः तुम मेरी चिंता करना छोड़ दो।                                                                                                                                                     अपने आप को कभी भी कमजोर ना समझे: -                                       
हर व्यक्ति अपने भीतर छिपे हुए डर को स्वीकार करना चाहिए। तथा उससे लड़ने की बजाय,डर की वजह को समझने का कोशिश करें। तथा अपने भीतर साहस और कर्मठता को पैदा करें। इस तरह से आप डर को जीत पाएंगे।                                   

  

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दिल में थोड़ा डर पाल के रखिए, क्योंकि यही मेहनत करवाएगा।  


डर को चुनौती देना सीखे:-                                                                 हमें चाहिए कि जिस काम या जिस परिस्थिति के कारण डर सता रही है। उसी काम या उसी परिस्थिति को थोड़ी-थोड़ी हम चुनौती दें। जैसे की:- मान लिया जाए। किसी को मंच पर कुछ बोलने से काफी डर लगता है।और वह कुछ बोल नहीं पता है। तो इस परिस्थिति में हमें चाहिए कि ,पहले एक दो अपने लोग के सामने कुछ बोले फिर संख्या बढ़ा के चार पांच करते हैं। फिर कुछ अनजान लोगों के बीच में बात करें कोशिश करें। फिर लोगों के छोटे-छोटे समूह में अपनी बात रखने की कोशिश करें।                                                         
अपने विश्वसनीय से मदद लेने का कोशिश करें:-                                            
मनुष्य के जीवन में कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां आ जाती है। या आने का संकेत देती है।तो मनुष्य काफी घबरा जाता है। और बहुत ज्यादा डर की भावना सताने लगता है जिससे मनुष्य के अंदर सोचने और समझने की शक्ति कम होने लगता है।                                                                                              
इसलिए मनुष्य को चाहिए कि, उसके जीवन में जो भी व्यक्ति उसके विश्वसनीय है। उनसे अपने डर की संबंध में बात चाहिए। इससे आपका डर कम हो जाएगा। और आप परिस्थितियों से लड़ पाएंगे


निष्कर्ष:-                                                                                                
डर को हमें शत्रुता की दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। क्योंकि वह हमें सचेत करता है। जीवन में कई बार बूरी परिस्थितियों से बचता है। उसकी प्रकृति ही ऐसी है। इसलिए डर से लड़के के बजाय उससे बात कीजिए।और परिस्थिति की बारीकियों समझिए। तब डर से दोस्ती हो जाएगी। इसके बाद आप बेहद आत्मविश्वास पूर्ण और मजबूत इंसान बन जाएंगे।


By -deobrat Bhaskar Sharma 

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